आईआईटी से सन्यासी बनने की कहानी ने श्रद्धालुओं के बीच मचाया तहलका

महा कुंभ मेला 2025, दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक, प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर शुरू हो चुका है। 26 फरवरी तक चलने वाले इस मेले में लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर पवित्र स्नान करने और आध्यात्मिक अनुभवों में भाग लेने पहुंचे हैं। इस मेले में जहां भक्ति और आस्था का समावेश है, वहीं “आईआईटी बाबा” की कहानी ने श्रद्धालुओं और सोशल मीडिया पर खूब चर्चा बटोरी है।
हरियाणा के रहने वाले अभय सिंह, जिन्होंने आईआईटी-बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की थी, अब “मसानी गोरख” के नाम से जाने जाते हैं। उनकी कहानी इस बात का उदाहरण है कि जीवन में सही मायने में सफलता क्या होती है।
आईआईटी से आध्यात्म की ओर सफर
अभय सिंह ने आईआईटी-बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया। जब उनके साथी कॉर्पोरेट जॉब्स और उच्च शिक्षा की ओर बढ़ रहे थे, तब अभय ने कोच्चि में फिजिक्स पढ़ाने का रास्ता चुना। लेकिन यह सफर केवल शिक्षण तक सीमित नहीं था।
आईआईटी में पढ़ाई के दौरान, अभय को दर्शनशास्त्र में गहरी रुचि थी। उन्होंने पोस्टमॉडर्निज्म, सुकरात, प्लेटो और अन्य दार्शनिक विषयों पर कोर्स किए। यह रुचि जीवन के गहरे अर्थ को समझने और सफलता के मापदंडों पर सवाल उठाने की प्रेरणा बनी। उन्होंने महसूस किया कि केवल भौतिक और तकनीकी ज्ञान जीवन के सभी प्रश्नों का उत्तर नहीं दे सकता।
आध्यात्मिक जागृति

अभय के लिए यह एहसास जीवन का बड़ा मोड़ साबित हुआ। उन्होंने महसूस किया कि सच्चा ज्ञान भौतिक उपलब्धियों से परे है। यही सोच उन्हें आध्यात्मिकता की ओर ले गई।
आज “मसानी गोरख” के नाम से मशहूर, अभय सिंह ने कुंभ मेले में अपनी यात्रा को लेकर कहा, “यह जीवन का सबसे सच्चा और सुखद चरण है।” उन्होंने बड़े पैकेज वाली नौकरियों और कॉर्पोरेट करियर को त्यागकर आत्मिक शांति और गहरे ज्ञान की खोज को प्राथमिकता दी।
उन्होंने बताया कि यह यात्रा न केवल आत्म-संतुष्टि का साधन है, बल्कि जीवन के असली उद्देश्य को समझने की कोशिश भी है।
सोशल मीडिया पर वायरल कहानी
अभय सिंह की प्रेरणादायक कहानी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। उनके साहस और असामान्य निर्णय ने लाखों लोगों को प्रभावित किया है। जहां आज के समय में भौतिक सफलता को ही जीवन का अंतिम लक्ष्य माना जाता है, वहीं अभय की यह यात्रा इस धारणा को चुनौती देती है।
कई सोशल मीडिया यूजर्स ने उनकी सराहना की और उनकी कहानी को आत्म-खोज और आंतरिक संतोष की प्रेरणा बताया। एक यूजर ने लिखा, “आईआईटी बाबा की कहानी सिखाती है कि असली सफलता बाहरी चीजों में नहीं, बल्कि आपके अंदर है।”
उनकी कहानी यह सवाल उठाती है कि क्या पैसा और शोहरत ही जीवन का अंतिम लक्ष्य है, या फिर आत्मिक शांति और ज्ञान अधिक महत्वपूर्ण हैं।
दर्शन और विज्ञान का संगम

अभय सिंह की यात्रा खास इसलिए भी है क्योंकि उन्होंने विज्ञान और आध्यात्म को एक साथ जोड़ने की कोशिश की है। उनका मानना है कि दोनों ही ज्ञान के क्षेत्र हैं और जीवन के गहरे सवालों का उत्तर पाने में मदद करते हैं।
वे कहते हैं, “विज्ञान आपको भौतिक दुनिया को समझने में मदद करता है, लेकिन आध्यात्म आपको यह सिखाता है कि उस दुनिया का उपयोग कैसे करें और उसका असली अर्थ क्या है।”
कुंभ मेले में एक प्रेरणा

महा कुंभ 2025 में लाखों श्रद्धालुओं के बीच, “आईआईटी बाबा” की कहानी न केवल एक चर्चा का विषय बनी है, बल्कि यह जीवन के उद्देश्य को समझने की प्रेरणा भी देती है। यह कहानी उन लोगों के लिए एक संदेश है जो केवल पैसे और करियर की दौड़ में फंसे हुए हैं।
अभय सिंह ने यह दिखाया कि असली सफलता केवल बाहरी उपलब्धियों में नहीं, बल्कि भीतर के संतोष और आत्मिक विकास में है। उनका निर्णय हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम वास्तव में सही चीजों का पीछा कर रहे हैं।
कुंभ मेले के इस आध्यात्मिक माहौल में, “आईआईटी बाबा” की उपस्थिति एक खास संदेश देती है – कि जीवन का असली उद्देश्य आत्मा की संतुष्टि और गहरे ज्ञान की खोज है। उनकी कहानी इस बात का उदाहरण है कि ज्ञान का पीछा करना केवल करियर के लिए नहीं, बल्कि जीवन को समझने और जीने के लिए होना चाहिए।
“मसानी गोरख” की यह यात्रा हमें यह सिखाती है कि अपने दिल की आवाज सुनना और साहसिक फैसले लेना ही जीवन को सही मायनों में अर्थपूर्ण बनाता है।ल खड़ा किया कि क्या जीवन में सफलता का मतलब केवल पैसा और शोहरत है, या फिर सच्चा ज्ञान और आत्मिक संतुष्टि उससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।
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