महा कुंभ मेला 2025 में ‘आईआईटी बाबा’ के नाम से मशहूर अभय सिंह, जिन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के करियर को छोड़कर आध्यात्मिक जीवन अपनाया, ने आरोपों को खारिज कर दिया कि उन्हें प्रयागराज के जूना अखाड़ा के 16 मढ़ी आश्रम से बाहर कर दिया गया।
शुक्रवार देर रात आजतक से बातचीत के दौरान, इस पूर्व इंजीनियर से आध्यात्मिक गुरु बने शख्स ने उन दावों को झूठा बताया कि उन्होंने आश्रम को अचानक छोड़ दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि आश्रम के संत उनके बारे में गलत अफवाहें फैला रहे हैं।
आईआईटी बाबा ने कहा, “उन्होंने मेरे बारे में गलत बातें फैलाईं। मढ़ी आश्रम के संचालकों ने मुझे रात में बाहर जाने को कहा। अब जब मुझे प्रसिद्धि मिल रही है, तो उन्हें डर है कि मैं उनके बारे में कुछ खुलासा कर दूंगा। इसलिए वे कह रहे हैं कि मैं गुप्त ध्यान के लिए चला गया हूं। ये सब बकवास है।”
आश्रम छोड़ने की खबरों पर सफाई

खबरें आई थीं कि बाबा अभय सिंह के माता-पिता उन्हें ढूंढने के लिए 16 मढ़ी आश्रम पहुंचे थे, लेकिन पता चला कि वह पहले ही वहां से जा चुके थे। अब उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि वह अभी भी महा कुंभ मेले में मौजूद हैं और किसी अज्ञात स्थान पर नहीं गए हैं।
आश्रम के अन्य संतों ने आजतक से बात करते हुए दावा किया कि आईआईटी बाबा का लगातार मीडिया से बातचीत करना उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बाबा नशे का सेवन कर रहे थे। इसी वजह से जूना अखाड़ा ने फैसला किया कि उनके लिए आश्रम छोड़ना ही बेहतर होगा।
मानसिक स्थिति पर उठाए सवाल
अभय सिंह ने इन आरोपों का खंडन करते हुए सवाल उठाया कि उनकी मानसिक स्थिति का आकलन करने वाले ये लोग कौन हैं। उन्होंने कहा, “ये कौन से मनोवैज्ञानिक हैं जो मेरी मानसिक स्थिति को मुझसे बेहतर जानते हैं? उन्हें मुझसे ज्यादा जानकार होना चाहिए ताकि मुझे कोई सर्टिफिकेट दे सकें।”
गुरु-शिष्य संबंध पर सफाई
उन्होंने सोमेश्वर पुरी नाम के संत के दावे पर भी प्रतिक्रिया दी। सोमेश्वर पुरी ने खुद को आईआईटी बाबा का गुरु बताया था। इस पर अभय सिंह ने कहा, “किसने कहा कि वह मेरे गुरु हैं? मैंने पहले ही उन्हें बता दिया था कि हमारे बीच कोई गुरु-शिष्य का रिश्ता नहीं है। अब जब मैं प्रसिद्ध हो गया हूं, तो वह खुद को मेरा गुरु बता रहे हैं।”
आईआईटी बाबा की कहानी

आईआईटी बाबा की जिंदगी और उनका महा कुंभ में मौजूद होना उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में ले आया है। हरियाणा के एक जाट परिवार में जन्मे अभय सिंह ने आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने डिज़ाइन में मास्टर डिग्री पूरी की और कनाडा में एक विमान निर्माण कंपनी में कुछ समय तक काम किया।
कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान कनाडा में रहते हुए अभय सिंह का आध्यात्म में झुकाव बढ़ा। उन्होंने भारत लौटने का फैसला किया और उज्जैन, हरिद्वार जैसे आध्यात्मिक केंद्रों का रुख किया।
परिवार और आध्यात्मिकता के बीच संघर्ष
अभय के इस फैसले को लेकर उनका परिवार शुरुआत में तो उनका साथ देता रहा, लेकिन धीरे-धीरे उनकी आध्यात्मिक जीवनशैली को लेकर चिंतित हो गया। उन्होंने कई बार पुलिस से संपर्क किया और उनकी मानसिक स्थिति पर सवाल उठाए।
लगभग छह महीने पहले अभय ने अपने परिवार से सारे रिश्ते तोड़ लिए और घर छोड़ दिया।
जब आजतक ने उनके पिता करण सिंह से उनके बेटे के फैसलों के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा, “उसने अपने लिए जो भी फैसला किया है, वह सही है। मैं उस पर कोई दबाव नहीं डालना चाहता। वह अपने मन का मालिक है।”
आईआईटी बाबा का संदेश
आईआईटी बाबा की कहानी आज के दौर में एक अलग दृष्टिकोण पेश करती है। जहां लोग पैसा और शोहरत पाने की दौड़ में लगे रहते हैं, वहीं उन्होंने आत्मिक शांति और ज्ञान को प्राथमिकता दी।
उनका यह सफर लोगों को सोचने पर मजबूर करता है कि असली खुशी बाहरी सफलता में नहीं, बल्कि अपने अंदर की संतुष्टि में है। महा कुंभ 2025 के इस आयोजन में उनकी उपस्थिति आध्यात्मिकता की एक अनोखी मिसाल पेश कर रही है।